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Sunday, December 22, 2024
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StartUp Story of Kabir Jeet Singh

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Burger Singh

Table of Contents

कैसे Burger Singh बना देश और विदेश का नम्बर 1 Burger Brand जानते है Burger Singh के founder की जर्नी

About Kabir Jeet Singh

Kabir Jeet Singh बर्गर सिंह (Burger Singh) के CEO और founder है। उन्होंने  University of Oxford से  financial strategy में Master’s degree पूरी की। उन्होंने University of Birmingham से MBA पूरा किया। वह स्थानों की पहचान करने, लॉन्च करने, संचालन और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में अत्यधिक विशिष्ट है।
Entrepreneurial  का विचार उनके साथ ‘The Pint Room’ और ‘La Caserta’s में नौकरियों के लिए बना रहा। Burger Singh के साथ, Kabir Jeet Singh भारतीय स्वादों और मसालों को burger में लाते हैं और Western staples को quintessentially भारतीय स्वादों में बदलते हैं। कॉलेज के दिनों में, दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए, Kabir Singh एक burger station पर काम करते थे। एक दिन उन्होंने कुछ स्वादों और मसालों के साथ प्रयोग किया और कुछ आकर्षक फ्यूज़न burger बनाए। तब से, Kabir Singh ने burger flavour के साथ प्रयोग करना बंद नही किया है।
2014 में, Burger Singh का पहला आउटलेट लॉन्च किया गया था और ब्रांड को 600% YoY growth trajectory के माध्यम से ले गया। Kabir Jeet Singh का vision burger Singh को क्यूएसआर का पर्याय बनाना और वैश्विक स्तर पर भारतीय जायके का प्रसार करना है।

Understanding the Recession-Proof Markets

Kabir Jeet Singh के fusion burgers ने लोकप्रियता हासिल की और burger shop के weekend menu में जगह बनाई। University के cookouts में अपने burger की मार्केटिंग शुरू करने पर उन्हें “Burger Singh” मिला। उन्हें क्या पता था कि यह अगले कुछ वर्षों में भारत में उनकी restaurant chain का नाम होगा।
2008 में, वह भारत लौट आए और दिल्ली में Beer Cafe में काम करना शुरू कर दिया। Kabir Jeet Singh खाद्य और पेय उद्योग से प्रभावित थे। Pharma के बाद यह उद्योग उन्हे कुछ उद्योगों में से एक लग रहा था, जो मंदी के सबूत के तौर पर सामने आए थे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अचल संपत्ति की आवश्यकताओं,  branding और विज्ञापनों की खोज की। नवंबर 2014 में, Kabir Jeet Singh ने गुड़गांव मे Burger Singh लॉन्च किया।

Startup of Burger Singh

Kabir Jeet Singh के पास व्यवस्थित burger की shop तक का साधन नही था। अपना  business स्थापित करना एक अलग खेल होने वाला था। Kabir Jeet Singh chef-centric approach और standardize model का पालन नहीं करना चाहते थे।
उन्होंने पंजाब और बिहार की यात्रा की और विभिन्न मिश्रणों को विकसित करने के लिए देश में प्रमुख मसाला मिश्रणकर्ताओं के साथ गठबंधन किया। Vegetarian products के लिए Kabir Jeet Singh ने मुंबई के पनवेल में एक छोटे vendor से गठबंधन किया है। Non-vegetarian products के लिए, वह हैदराबाद में एक vendor के पास पहुंचे।
उनके  vendors अमेरिका में Cosmo और यूके में Tesco को उत्पादो की आपूर्ति करते है। Kabir Singh ने लंबी अवधि के लाभों के लिए उनके साथ गठबंधन करने का फैसला किया, भले ही burger singh के लिए इसका मतलब उच्च लागत था। Burger व्यापक रूप से Franchise करने योग्य product है। लेकिन ऐसा करने के लिए, standardization और  models को ठीक करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने food processors, vendors और  spice blenders  के साथ meeting की, यह समझने के लिए कि processor model कैसे काम करेगा।
शुरुआत से सब कुछ काम करना संस्थापक के लिए एक कठिन प्रक्रिया थी। Kabir Singh का कहना था कि  “मेरे पास राजमा बर्गर के लिए 172 से अधिक परीक्षण थे, इससे पहले कि हम वास्तव में इसे मेनू में डालते। इसका मतलब था कि मैं दो साल तक रोज राजमा खाऊंगा!”

Kabir Jeet Singh समझ गए थे कि एक सफल food business के लिए एक  supply chain और एक robust logistics system की आवश्यकता होती है। वह गुणवत्ता पर केंद्रित रहा क्योंकि वह एक food business के विकास को जानता था। Burger Singh को Kabir Jeet Singh की अपनी savings से शुरू किया गया था और दोस्तों और परिवार से पैसे उधार लिए थे। Sun City के Gurgaon में 500 sq ft का store पहला burger singh स्टोर बना। Kabir Jeet Singh का कहना है कि वे तीन महीने में अपने ब्रेक ईवन पर पहुंच गए।
“एक outlet की कीमत 30 लाख रुपये है, और इन्होने दो के साथ शुरुआत की। इन्होने जो कैश ब्रेक-ईवन हासिल किया, उससे इन्हे अपने अन्य स्टोर खोलने में मदद मिली। उन्होंने बताया कि छोटे भंडारण क्षेत्र का चयन करना एक अच्छा निर्णय था क्योंकि store का किराया 60,000 रुपये था और Outlet करीब 10 लाख रुपये कमा रहे थे। टीम अब alcohol और burgers परोसने वाले dine-in concept के साथ 3,000 sq ft के स्टोर, बड़े प्रारूप वाले store खोलने की इच्छुक है। ‘ग्लासी’ कहे जाने वाले ये स्टोर burger singh लैब भी हैं, जहां नए-नए व्यंजनों का परीक्षण किया जाता है और पूरे बाजार में वितरित किया जाता है।

Funding and Revenue

Burger Singh ने अक्टूबर 2015 से अब तक 1 मिलियन डॉलर की बाहरी पूंजी जुटाई है। Investors में राहुल सिंह (Beer Cafe), अश्विन चड्ढा, धीरज जैन (Redcliffe Capital), रणविजय सिंह (MTV Roadies), अवतार मोंगा (COO of IDFC Bank) और कैप्टन सलीम शेख (ex -Sayaji Hotels) शामिल हैं।
20% money प्रौद्योगिकी और आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण के लिए allocated किया गया था। 40% outlets विकसित करने के लिए और शेष कोर टीम के remuneration के लिए। साल  2016-17 तक, समूह ने 37% की वृद्धि के साथ 6.5 करोड़ रुपये के revenue का खुलासा किया।
एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का quick-service restaurants (QSR) बाजार 8,500 करोड़ रुपये का होने की उम्मीद है। देश का QSR बाजार 25 फीसदी CAGR से बढ़ रहा है। 28 outlet और 26 करोड़ रुपये के turnover को लॉन्च करने के बाद, Kabir Jeet Singh और अधिक के भूखे हैं। Burger Singh के दिल्ली/एनसीआर में 20 store हैं, एक Pune में, दो Dehradun में और दो Jaipur में है। इसकी तीन franchise भी हैं, जिनमें एक Nagpur में और दो london में हैं। Burger Singh दिल्ली और एनसीआर बाजार को मजबूत करने और दिल्ली के आसपास के कुछ क्षेत्रों में विस्तार करने पर विचार कर रहा है।
यह कहानी थी Burger Singh के फाउंडर और सीईओ Kabir Jeet Singh की। ऐसी ही Informative information के लिए vyapar ki baat को सभी social media पर follow करे।

Started business from a small room and Today Hungry Foal reached in crores

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कैसे एक छोटे से कमरे से शुरू किया business और आज पहुंचा करोड़ों में

अगर हौंसला बुलंद हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं। इस बात को साबित कर दिखाया Haryana की एक महिला  ने। उन्होंने एक छोटे से कमरे से अपना business शुरू किया था, जिसका टर्नओवर आज करोड़ों में पहुंच चुका है। दूसरी सबसे मैन बात ये है कि उन्होंने अपना business बहोत कम पैसों में शुरू किया। आम तौर पर कोई भी business शुरू करने के लिए पैसे और जमीन की ही जरूरत होती है। मगर Haryana की इस महिला ने इस बात को गलत साबित कर दिखाया।
कैसे आया business idea
2016 की एक रिपोर्ट में सामने आया था कि India में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में malnutrition के काफी मामले हैं। इसी आधार पर Japna Rishi Kaushik ने अपना business शुरू करने का फैसला किया। Food Technology और field of nutrition में Specialization और अनुभव के साथ Kaushik ने एक बदलाव लाने का संकल्प लिया। 40 वर्षीय Gurgaon स्थित Kaushik  के अनुसार हम में से बहुत से लोग बादाम का एक पैकेट खरीद सकते हैं, लेकिन यह उन लोगों के लिए सस्ता नहीं है जो financially से कमजोर हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें Nutritious food और Snacks नहीं मिलना चाहिए।
शुरूवात की 10rs वाले  पैकेट से 

कम income वाले लोगों को nutritious food न मिल पाने की वजह से Kaushik ने 2016 में Hungry Foal नाम की company शुरू की। उन्होंने 5 और 10 रु में Muffins और Classic Choco Energy Bites के पैकेट्स बेचे। ये गरीबों तक nutritionist पहुंचाने का एक रास्ता भी था। बाद में Kaushik ने nut light की शुरुआत की। इसमें Oats, Raisins, Almonds और Pub Rice शामिल किए गए।उनके खास और सस्ते products Delhi-NCR, UP, Rajasthan, Haryana और Himachal Pradesh के कई शहरों में बिकते हैं। अच्छी बात ये है कि Kaushik की company ये healthy snacks काफी सस्ते में बेच रही है। कई दूसरी कंपनियां इस तरह के product करीब 50 रुपये में बेचती हैं। Kaushik ने धीरे -धीरे कारोबार बढ़ाया। अब उनका business लगातार growth हासिल कर रहा है। टर्नओवर पर नजर डालें तो उनकी कंपनी का कारोबार 3 करोड़ रु से भी अधिक है।

TV 9 Bharatvarsh की रिपोर्ट के अनुसार Kaushik ने अपना business शुरू करने से पहले कई बड़ी multinational company में भी काम किया। इनमें Coca Cola and Nestle जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं। Kaushik को business में अपने पति का भी खूब साथ मिला। उन्होंने कम लागत में production और कई तरह की variety के दम पर अपना business को काफी आगे बढ़ा लिया है।

पहली बार स्टॉल लगाया और एक घंटे मे 200 यूनिट products बिक गए
पहली बार Hungry Foal ने अपने products को बेचने के लिए एक स्टाल लगाया था। उनके सभी products (200 यूनिट) करीब एक घंटे के अंदर बिक गए। इसके बाद Hungry Foal ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। kaushik ने business एक छोटी जगह से शुरू किया था, उन्होंने जल्द ही मानेसर में 10,750 वर्ग फुट की एक यूनिट स्थापित की। अब उनके पास काम करने वालों की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। अब उन्होंने अपने products की संख्या में भी बढ़ोतरी की है।
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Startup Story of Ritesh Agarwal (Founder of Oyo Rooms)

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कैसे 21 साल के युवा ने बनाई 360 करोड़ की oyo rooms company

रीतेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) ने 20 साल की उम्र में Oyo Rooms नाम की कंपनी की शुरूआत कर बड़े-बड़े अनुभवी Entrepreneurs and Investors को भी Surprised कर दिया। Oyo Rooms का मुख्य उद्देश्य travelers को सस्ते दामों पर अच्छी सुविधाओं के साथ देश के बड़े शहरों के होटलों में कमरा उपलब्ध कराना है।
रीतेश अग्रवाल ने business के बारे में सोचने और समझने का काम कम उम्र में ही शुरू कर दिया था। उनका जन्म 16 नवम्बर 1993 को उड़ीसा राज्य के जिले कटक बीसाम के एक commercial परिवार में हुआ है। 12th तक कि पढ़ाई उन्होंने जिले के ही – Scared Heart School में की। इसके बाद उनकी इच्छा IIT में दाखिले की हुई। जिसकी तैयारी के लिए वे राजस्थान के कोटा में चले गए। कोटा में उनके बस दो ही काम थे- एक पढ़ना और दूसरा, जब भी छुट्टी मिले खूब travel करना। यही से उनकी रूची traveling में बढ़ने लगी। कोटा में ही उन्होंने एक किताब लिखी – Indian Engineering Collages: A complete Encyclopedia of Top 100 Engineering Collages और जैसा कि बुक के नाम से ही लग रहा है, यह बुक देश के 100 सबसे प्रतिष्ठीत इंजनीयरिंग कॉलेजों के बारे में थी।
16 वर्ष की उम्र में उनका चुनाव मुंबई स्थित Tata Institute of Fundamental Research (TIRF) में आयोजित, Asian Science Camp के लिए किया गया। यह कैम्प एक Annual Dialogue मंच है जहां ऐशियाई के छात्र शामिल किसी क्षेत्र विशेष की समस्याओं पर विचार-विमर्श कर विज्ञान और तकनीक की मदद से उसका हल ढूढ़ा करते हैं। यहां भी वे छुट्टी के दिनों में खूब travel किया करते और ठहरने के लिए सस्तें दामों पर उपलब्ध होटल्स (Budget Hotels) का प्रयोग करते। पहले से ही रीतेश की रूची business में बहुत थी और इस क्षेत्र में वे कुछ करना चाहते थे। लेकिन business किस चीज का किया जाए, इस बात को लेकर वे स्पष्ट नहीं थे।
कई बार वे कोटा से ट्रेन पकड़ दिल्ली आ जाया करते और मुंबई की ही तरह सस्तें होटल्स में रूकते ताकि दिल्ली में होने वाले young entrepreneurs के Events and conferences में शामिल होकर नए young entrepreneurs और start-up founders से मिल सके। कई बार इन इवेन्टस में शामिल होने का रजिस्ट्रेशन शुल्क इतना ज्यादा होता कि उनके लिए उसे दे पाना मुश्किल हो जाता। इसलिए कभी-कभी वो इन आयोजनों में चोरी-चुपके जा बैठते! यही वो वक्त था, जब उन्होंने traveling के दौरान ठहरने के लिए प्रयोग किए गए सस्तें होटल्स के बुरे अनुभवों को अपने business का रूप देने की सोची।
Ritesh Agarwal के 1st startup (Oravel Stays) की शुरुवात कब और कैसे हुई और उन्हें वो बाद में क्यों करना पड़ा
2012 में उन्होंने अपने पहले startup -Oravel Stays की शुरूआत की। इस कंपनी का उद्देश्य travels को कम दामों पर कमरों को उपलब्ध करवाना था। जिसे कोई भी आसानी से reserve online कर सकता था। कंपनी के शुरू होने के कुछ ही महीनों के अंदर उन्हें नए startup में निवेश करने वाली कंपनी VentureNursery से 30 लाख का फंड भी प्राप्त हो गया। अब रितेश के पास अपनी कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए पैसे थे। उसी समय-अंतराल में उन्होंने अपने इस business idea को Theil Fellowship, जो कि पेपल कंपनी के co-founder – पीटर थेल के “थेल फाउनडेशन” द्वारा आयोजित एक global competition के सामने रखा। सौभाग्यवश वे इस प्रतियोगिता में दसवां स्थान प्राप्त करने में सफल रहे और उन्हें fellowship के रूप में लगभग 66 लाख प्राप्त हुए।
बहुत ही कम समय में उनके नये startup को मिली इन सफलताओं से वे काफी उत्साहित हुए और वे अपने startup पर और बारीकी व सावधानी से काम करने लगे। लेकिन पता नहीं क्यों उनका ये business model expected लाभ देने में असफल रहा और “ओरावेल स्टे” धीरे-धीरे घाटे में चला गया। वे परिस्थिति को जितना सुधारने का प्रयास करते, स्थिती और खराब होती जाती और अंत में उन्हें इस कंपनी को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा।
कैसे और क्यों Oravel Stays बन गया Oyo Rooms
रीतेश अपने startup के असफल होने से निराश नहीं हुए और उन्होंने दुबारा नई योजना पर विचार करने कि सोची ताकि इसकी कमियों को दूर किया जा सके। इससे उन्हें यह अनुभव हुआ कि भारत में सस्ते होटल्स में कमरे मिलना या न मिलना कोई समस्या नहीं हैं, दरअसल कमी है होटल्स का कम पैसे में बेहतरीन सुविधाओं को प्रदान न कर पाना। उन्हें अपनी यात्राओं के दौरान बज़ट होटल्स में ठहरने के उन अनुभवों को भी याद किया जब उन्हें कभी-कभी बहुत ज्यादा पैसे देने के बाद भी गंदे और बदबूदार कमरें मिलते और कभी-कभी कम पैसों में ही आरामदायक और सुविधापूर्ण कमरे मिल जाते।
इन्हीं बातों ने उन्हें फिर प्रेरित किया कि वे दुबारा Oravel Stays में नये बदलाव करे एवं travels की सुविधाओं को ध्यान में रख उसे नये रूप में present करें और फिर क्या था 2013 में फिर oravel stays लॉन्च हुआ लेकिन इस बार बिल्कुल नये नाम और मकसद के साथ। अब oravel stays का नया नाम Oyo Rooms (ओयो रूम्स) था। जिसका मतलब होता है “आपके अपने कमरे”। oyo rooms का उद्देश्य अब सिर्फ travels को किसी होटल में कमरा दिलवाना नहीं रह गया। अब वह होटल के कमरों की और वहां मिलने वाली सुविधाओं की गुणवता का भी ख्याल रखने लगे और इसके लिए कंपनी ने कुछ standards को भी laid down किया। अब जो भी होटल oyo rooms के साथ जुड़ अपनी सेवाएं देना चाहता है, उसे सबसे पहले कंपनी से संपर्क करना होता है। इसके बाद कंपनी के कर्मचारी उस होटल में जा वहां के कमरों और अन्य सुविधाओं का निरीक्षण करते है। अगर वह होटल oyo के सभी standards पर खरा उतरता है तभी वह oyo के साथ जुड़ सकता है, अन्यथा नहीं।
Success of Ritesh Agarwal
इस बार रीतेश पहले की गलतियों को दुहराना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने एक business firms – SeventyMM के सीईओ भावना अग्रवाल से मिल business की बारिकियों को बेहतरीन ढ़ंग से जानने का प्रयास किया। इन सलाहों ने आगे चलकर उन्हें कंपनी के लिए अच्छे निर्णय लेने में काफी मदद की। शुरू में oyo rooms को लगातार ग्राहक मिलते रहे इसलिए उन्होंने लगभग दर्जन भर होटलों के साथ समझौता कर लिया।
इस बार रीतेश की मेहनत रंग लाई और सबकुछ वैसा ही हुआ जैसा वे चाहते थे। अच्छे दामों पर बेहतरीन सुविधाओं के साथ travels को यह सेवा बहुत पसंद आने लगी। धीरे-धीरे ग्राहकों कि मांगो को पूरा करने के लिए कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 2 से 15, 15 से 25 कर दी गई। currently में oyo के कर्मचारियों की संख्या 3000 से भी ज्यादा हैं। कंपनी के स्थापित होने के एक साल बाद, 2014 में ही दो बड़ी कंपनियों Lightspeed Venture Partners (LSVP) और DSG Consumer Partners ने Oyo Rooms में 4 करोड़ रूपये का निवेश किया। 2016 में, जापान की multinational कंपनी Softbank ने भी 7 अरब रूपयें का निवेश किया है। जो कि एक नई कंपनी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है।
वह बात जिसने रीतेश अग्रवाल को कंपनी को और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है, वह है- हर महीने ग्राहकों द्वारा 1 करोड़ रूपये से भी ज्यादा की जाने वाली बुकिंग। केवल 2 सालो में Oyo Rooms 15000 से भी ज्यादा होटलो की Chain (1000000 कमरों) के साथ देश की सबसे बड़ी आरामदेह एवं सस्ते दामों पर लागों को कमरा provide कराने वाली कंपनी बन चुकी है। रीतेश अग्रवाल की यह कंपनी भारत के top startup कंपनियों में से एक हैं।
July, 2016, प्रतिष्ठीत अंतराष्ट्रीय मैगज़ीन GQ  (Gentlemen’s Quarterly) ने रितेश अग्रवाल को 50 Most Influential Young Indians: Innovators की सूची में शामिल किया है। इस सूची में उन युवा इनोवेटर्स को शामिल किया जाता है जो अपनी नई सोच व विचारों से लोगों की जिंदगी को आसान बनाते है। ऐसी ही Informative information के लिए vyapar ki baat को सभी social media पर follow करे।

 

कैसे teaching line में सब कंपनियों को पीछे छोड़ा BYJU’S ने कुछ ही सालो में। जाने BYJU’S की पूरी startup जर्नी

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Teaching sector में देश का सबसे ज्यादा वैल्यू वाला startup है BYJU’s

BYJU’s एक ऐसा नाम है, जिसके बारे में हम सभी ने कभी ना कभी कुछ देखा या सुना होगा। चाहे team India की जर्सी हो या टीवी विज्ञापन या फिर youtube व facebook पर चलने वाले बैनर पर हमने अक्सर BYJU’s का नाम देखा या सुना है।
इसके अलावा BYJU’s को इस वजह से भी जाना जाता है कि इसके ब्रांड एंबेसडर bollywood के सुपरस्टार शाहरुख खान है। इसके विज्ञापन में आपने शाहरुख़ खान को देखा होगा। हालाँकि साल अक्टूबर 2021 में जब शाहरुख खान के बेटे आर्यन को NCB ने ड्रग मामले में गिरफ्तार किया था तो BYJU’s ने फजीहत से बचने के लिए शाहरुख खान के सारे विज्ञापनों पर रोक लगा दी थी।
BYJU’s की पूरी जर्नी:-
केरल के अझिकोड में रविंद्रन और शोभनवल्ली नाम का एक शिक्षक दंपत्ति रहता था। रविंद्रन जहाँ फिजिक्स पढ़ाते थे, वहीँ शोभनवल्ली मैथ्स पढ़ाती थी। रविंद्रन और शोभनवल्ली के बेटे का नाम बायजू था। रविंद्रन और शोभनवल्ली ने अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दी। बायजू ने भी मन लगाकर पढ़ाई की और फिर विदेश में नौकरी करने के लिए चला गया।
साल 2003 में जब बायजू नौकरी से छुट्टी लेकर भारत आए तो वह शौकिया तौर पर MBA की पढ़ाई कर रहे अपने दोस्तों को पढ़ाने लगे। इस बीच उन्हें ख्याल की क्यों ना मैं भी exam दूं। इसके बाद उन्होंने exam दी तो पहले ही प्रयास में 100% रिजल्ट आया। उन्होंने सोचा तुक्का लग गया होगा तो उन्होंने वापस से फिर exam दिए। लेकिन दूसरी बार फिर exam में भी 100% रिजल्ट आया।
इसके बाद बायजू ने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। बायजू के माता-पिता भी शिक्षक थे तो बायजू के लिए यह मुश्किल नहीं था। बायजू का पढ़ाया हुआ बच्चों को अच्छे से समझ आ रहा था। यही कारण है कि शुरुआत में सिर्फ 2 students उनके पास पढ़ने के लिए आते थे, लेकिन बाद में 1000 से ज्यादा students उनके पास पढ़ने के लिए आने लगे। साल 2007 तक तो बायजू के पास देश के 9 शहरों में 20 हजार से ज्यादा students थे। इतने students को पढ़ाने के लिए कई बार बायजू को इनडोर स्टेडियम में क्लास लेनी पढ़ती थी।
कब और कैसे BYJU’S APP लांच हुआ:-
बच्चों को पढ़ाने के दौरान बायजू ने एक बात नोटिस की थी कि हमारे देश में कॉलेज सिर्फ नंबर पर focus करते है। इस वजह से कई बार बच्चों के fundamental concept ही clear नहीं होते थे। अब बायजू देश के अलग-अलग शहरों में जाकर तो बच्चों को पढ़ा नहीं सकते थे। तो ऐसे में उन्होंने सोचा कि क्यों ना एक ऐसा app बनाया जाए, जहाँ पूरे देश के बच्चे आसानी से अपनेconcept clear कर सके।
बायजू ने सबसे पहले साल 2011 में think and learn app लांच किया। इस दौरान बायजू ने अपना  focus कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के बच्चों पर किया। इसका कारण यह था कि देश में इनकी संख्या करोड़ों में थी। इसके बाद बायजू ने कुछ बदलाव किए और साल 2015 में BYJU’s app लॉन्च किया।
BYJU’s के लांच होने के बाद पहले तीन महीने में ही करीब 20 लाख students इससे जुड़ गए। साल 2016 में BYJU’s को 921 करोड़ रूपए की फंडिंग मिली। साल 2017 में BYJU’s ने शाहरुख़ खान को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया। साल 2018 तक BYJU’s की वैल्युएशन 1 अरब डॉलर को पार कर गई। साल 2019 में BYJU’s भारतीय क्रिकेट टीम का ऑफिशियल स्पॉन्सर बन गया। साल 2021 में BYJU’s ने paytm को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे ज्यादा वैल्यू वाला startup app बन गया।
BYJU’S की सफलता की कहानी:-
अगर हम बात करे BYJU’s की सफलता की तो बता दे कि BYJU’s ने पढ़ाई के तरीके और स्टाइल पर काफी ध्यान दिया। बच्चों को concept को आसान और मजेदार तरीके से दूर करने के लिए एक्सपर्ट शिक्षकों की भर्ती की गई। वीडियो और ग्राफिक के जरिए छोटे-छोटे वीडियो तैयार किए गए। कई वीडियो को फ्री में बच्चों और पेरेंट्स को दिखाया गया। जिनको यह वीडियो पसंद आए, उन्हें और वीडियो देखने के लिए पैसे देकर BYJU’s का subscription लेना पड़ा।
इसके अलावा BYJU’s को अच्छी खासी फंडिंग भी होती है। BYJU’s ने इस पैसों का इस्तेमाल एडवरटाइजिंग के लिए किया। BYJU’s ने bollywood के सुपरस्टार शाहरुख खान को ब्रांड एंबेसडर बनाया। इसके अलावा इंडियन क्रिकेट टीम की जर्सी के राइट्स ख़रीदे। इसके अलावा TV और social media पर भी एडवरटाइजिंग के लिए पैसा बहाया। इससे BYJU’s  कभी लोगों की नजरों से दूर नहीं हुआ।
मार्किट में बने रहने के लिए BYJU’s ने अपनी अपने बड़े कॉम्पटीटर्स को या तो खत्म कर दिया या फिर उनका अधिग्रहण कर लिया। BYJU’s ने एपिक गेम्स, टॉपर, ग्रेट लर्निंग, हश लर्न, स्कॉलर, व्हूदैट और ग्रेडअप सहित कई कंपनियों का अगर हम बात करे BYJU’s की सफलता की तो बता दे कि BYJU’s ने पढ़ाई के तरीके और स्टाइल पर काफी ध्यान दिया. बच्चों को कांसेप्ट को आसान और मजेदार तरीके से दूर करने के लिए एक्सपर्ट शिक्षकों की भर्ती की गई. वीडियो और ग्राफिक का जरिए छोटे-छोटे वीडियो तैयार किए गए. कई वीडियो को फ्री में बच्चों और पेरेंट्स को दिखाया गया. जिनको यह वीडियो पसंद आए, उन्हें और वीडियो देखने के लिए पैसे देकर BYJU’s को सब्सक्राइब करना पड़ा.
इसके अलावा BYJU’s को अच्छी खासी फंडिंग भी होती है. BYJU’s ने इस पैसों का इस्तेमाल एडवरटाइजिंग के लिए किया. BYJU’s ने बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान को ब्रांड एंबेसडर बनाया. इसके अलावा इंडियन क्रिकेट टीम की जर्सी के राइट्स ख़रीदे. इसके अलावा टीवी और सोशल मीडिया पर भी एडवरटाइजिंग के लिए पैसा बहाया. इससे BYJU’s  कभी लोगों की नजरों से दूर नहीं हुआ.
मार्किट में बने रहने के लिए BYJU’s ने अपने से बड़े कॉम्पटीटर्स को या तो खत्म कर दिया या फिर उनका takeover कर लिया। BYJU’s ने एपिक गेम्स, टॉपर, ग्रेट लर्निंग, हश लर्न, स्कॉलर, व्हूदैट और ग्रेडअप सहित कई कंपनियों का takeover कर लिया।

Biography and Journey of Mukesh Ambani

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Biography of Mukesh Ambani, Managing Director of Reliance Industries Ltd.

About Mukesh Dhirubhai Ambani:-
Mukesh Dhirubhai Ambani एक Indian entrepreneur, सबसे बड़े shareholder, अरबपति बिजनेस मैग्नेट, Reliance Industries Ltd. के chairperson and managing हैं। वह 2020 तक एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे।
उनका जन्म 19 अप्रैल 1957 को यमन में हुआ था। उनके पिता का नाम  Dhirubhai Ambani और माता का नाम Kokilaben Ambani है।उनका एक भाई  Anil Ambani  और दो बहनें Nina Kothari and Dipti Salgaocar हैं। वे केवल कुछ समय के लिए यमन में रहे क्योंकि Dhirubhai ने 1958 में भारत वापस जाने का फैसला किया।वह मसालों और वस्त्रों का business शुरू करना चाहते थे। 1970 तक, वे भुलेश्वर, मुंबई में दो बेडरूम के  apartment में रहते थे। बाद में उनके पिता Dhirubhai ने कोलाबा में ‘सी विंड’ नाम से एक 14 मंजिला अपार्टमेंट ब्लॉक खरीदा।

Education History:-
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई के पद्दार रोड के Hill Grange Highschool से पूरी की। उन्होंने Institute of Chemical Technology से  Chemical Engineering की थी। उस्के बाद उन्होंने Stanford University में MBA के लिए admission लिया लेकिन 1980 में अपने पिता को Reliance बनाने में मदद करने के लिए उन्होंने admission वापस ले लिया। उनके पिता Dhirubhai का मानना था कि वास्तविक जीवन कौशल का उपयोग अनुभव के माध्यम से ज्यादा होता है, शिक्षा के मुकाबले।
Entrepreneurial Journey:-
उन्होंने 1981 में  family business चलाने में Dhirubhai की मदद करना शुरू किया। उस समय तक business को retail and communication industries तक शामिल किया गया था।
Reliance Jio  ने 2016 से देश की telecommunication services में शीर्ष पांच स्थान अर्जित किया है।2016 तक, वह 38 वें स्थान पर थे, और पिछले दस सालो से लगातार Forbes magazine’s की list में india के सबसे अमीर व्यक्ति का खिताब अपने नाम किया। वह Forbes की दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में एकमात्र businessperson हैं। जनवरी 2018 में, उन्हें Forbes magazine’s द्वारा दुनिया के 18 वें सबसे wealthiest person का स्थान दिया गया था।
वह  North America और Europe के बाहर दुनिया के सबसे wealthiest person भी हैं। 2015 में China’s के Hurun Research Institute के अनुसार, वह India  के philanthropists लोगों में पांचवें स्थान पर थे।वह बैंक ऑफ अमेरिका के निदेशक बनने वाले पहले गैर-अमेरिकी बने। रिलायंस के माध्यम से, वह Indian Premier League franchise Mumbai Indians के मालिक थे।

About Personal Life:-
1985 में उन्होंने Nita Ambani से शादी की। Dhirubhai के एक  dance performance में भाग लेने के बाद उनकी मुलाकात हुई, जिसमें Nita भाग लेती हैं और फिर उन्होंने दोनों का विवाह कराने के बारे में सोचा।
Nita Ambani और Mukesh Ambani के दो बेटे अनंत और आकाश और एक बेटी ईशा है। वे 27 मंजिला Antilia में रहते हैं।
घर की maintenance के लिए 600 staff members रखे हुए है। Antilia इसमें तीन staff members, 160 कारों के लिए एक car parking , एकprivate movie theatre, एक fitness center और एकswimming pool शामिल हैं।

उन्होंने 2007 में अपनी wife के 44वें birthday पर 60 मिलियन Airbus ए319 gift में दिया। Airbus में 180 passengers, satellite television, Wi-Fi, sky bar, Jacuzzi और office स्पेस है। इसमें एक living room और bedroom भी शामिल करने के लिए कस्टम फिट किया गया है। इसमें उनका फेवरेट Mysore Café at Kings Circle Mumbai भी है।

Journey of Ambani’s from ₹15000 to becoming a billionaire:-
1980 में, भारत सरकार ने PFY निर्माण को private sector के लिए खोल दिया। Dhirubhai ने PFY manufacturing plant स्थापित करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। टाटा, बिड़ला और 43 अन्य लोगों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद Dhirubhai ने लाइसेंस प्रदान किया, जिसे आमतौर पर लाइसेंस राज के रूप में जाना जाता है।
Mukesh Ambani ने उनके साथ PFY प्लांट बनाने का काम किया। कंपनी में शामिल होने के बाद, उन्होंने दैनिक रूप से तत्कालीन कार्यकारी निदेशक Rasikbhai Meswani को सूचना दी। Dhirubhai ने Mukesh को एक business partner के रूप में माना और उन्हें थोड़े अनुभव के साथ योगदान करने की अनुमति दी।
यह 1985 में  Rasikbhai की death के बाद शुरू हुआ और Dhirubhai को भी 1986 में एक स्ट्रोक का सामना करना पड़ा।उस समय सारी जिम्मेदारी Mukesh और Anil ambani पर आ गई। Mukesh ambani ने Reliance Communications Limited की स्थापना की, उन्हें Patalganga plant का प्रभार दिया गया था। उस समय कंपनी तेल रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल्स में भारी निवेश कर रही थी।
जुलाई 2002 में, दूसरे स्ट्रोक के बाद Dhirubhai की मृत्यु हो गई। उसने Anil और Mukesh के बीच तनाव बढ़ा दिया, क्योंकि Dhirubhai ने वितरण के लिए इच्छा नहीं छोड़ी थी। इसे रोकने के लिए मां  Kokilaben ने बीच-बचाव किया। उन्होंने कंपनी को दो हिस्सों में बांट दिया। Mukesh Ambani को Reliance Industries Limited और Indian Petrochemical Corporation Limited दे दी गयी। ऐसी ही Informative information के लिए व्यापर की बात को सभी social media पर follow करे।

In Shark Tank India, Aman and Namit invest Rs 50 lakh in Smart Helmet Company

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कैसे ALTOR कंपनी ने हेलमेट बेंचकर बनाया करोड़ो का बिजनेस ? Shark Tank India में अमन और नामित ने किये company में 50 लाख रुपये इन्वेस्ट।

हम बात करेंगे भारत के एक ऐसे startup के बारे में जो स्मार्ट हेलमेट बनाते है और साथ ही हम जानेंगे कि कैसे हेलमेट बनाकर इन्होंने करोड़ों का business खड़ा किया और साथ ही हम जानेंगे कि जब ये Shark Tank में अपना business idea लेकर आए तो किस insvestor ने कितने रुपये इनके business में इन्वेस्ट करे।

चार दोस्तों ने मिलकर एक company स्टार्ट की जिसका नाम Altor है और इस कंपनी को 4 दोस्तों ने मिलकर बनाया।8जिनका नाम शामिक, बिलाल, अनिर्बन और सायन है। ये कंपनी इन्होंने इसलिए बनाई क्योकि भारत मे लगभग 25 करोड़ bikers है और हर घंटे 6 से भी ज्यादा bikers की मौत होती है। बाइक एक्सीडेंट की बजह से, ऐसा ही हुआ इन चारों के दोस्त के साथ, इनका जो एक और दोस्त था उसकी मौत भी एक बाइक एक्सीडेंट की बजह से हुई थी और वो एक घंटे तक सड़क पर ही पड़ा था उसे कोई भी हॉस्पिटल तक लेकर नहीं गए और जब उसे हॉस्पिटल ले जाया गया तो डॉ. ने बोला कि अगर आप इसे 1 घंटे पहले लेकर आते तो हम इसकी जान बचा सकते थे। इसी समस्या का हल करने के लिए इन चारों दोस्तों ने Altor company का निर्माण किया। ताकि जो इनके दोस्त के साथ हुआ है वो और किसी के साथ न हो।smart helmet

Altor Company क्या है और इनका हेलमेट कैसे काम करता है

Altor Company एक ऐसी कंपनी है जो स्मार्ट हेलमेट बनाते है एक ऐसा हेलमेट जो कि आपको एक्सीडेंट से बचाएगा। अगर कोई भी बाइकर Altor Company का हेलमेट पहनकर एक्सीडेंट का शिकार होता है तो इनका स्मार्ट हेलमेट एक्सीडेंट को तुरंत डिटेक्ट करता है और एक्सीडेंट होते ही Altor का हेलमेट emergency call  लगा देता है जिससे उसकी हेल्प के लिए जल्द से जल्द कोई भी पहुँच सकता है। इनके हेलमेट की खास बातें ये है कि जब किसी बाइकर के पास कॉल आती है तो उसे अपनी पॉकेट से मोबाइल निकलने की जरूर नहीं पड़ती वो हेलमेट के द्वारा ही कॉल उठा और काट सकता है। एक्सीडेंट होने पर ये ऑटोमेटिकली emergency call कर देता है और लास्ट लोकेशन भी शेयर कर देता है।smart helmet

Company की सेल की बात करें तो इन्होंने 5 महीने में 100 हेलमेट बेच दिए है, और इनके एक हेलमेट की की कीमत 5000₹ है और इसको बनाने की जो कीमत लगती हो वो 4000₹ है। मतलब इनको एक हेलमेट पर 1000₹ का profit होता है। Altor Company के फाउंडर्स ने investor से 50 लाख रुपये के बदले अपनी कंपनी के 5% शेयर देने की मांग करी।

Shark Tank के कोन से investor ने altor company को कितने रुपये का क्या offer दिया ?

दोस्तों Shark Tank के investor को इनका idea काफी ज्यादा पसंद आया और सबसे पहला ऑफर farma company की फाउंडर नामिता ने दिया जो कि 50 लाख रुपए के बदले altor company के 20% शेयर लेने का था और दूसरा ऑफर boat company के फाउंडर अमन ने दिया जो कि 50 लाख रुपये में altor company के 10% शेयर लेने का था और तीसरा ऑफर bharatpay के फाउंडर अशनिर और lenskart के फाउंडर पीयूष और shadi.com के फाउंडर अनुपम ने दिया जो कि 50 लाख रुपये में altor company के 10% शेयर लेने का था । तो फिर farma company की फाउंडर नामिता और boat company के फाउंडर अमन दोनों मिल गए और इन्होंने ने भी same ऑफर दिया जो कि 50 लाख रुपये में altor company के 10% शेयर लेने का था ।

फिर altor company के फाउंडर्स ने अमन और नामिता को बोला कि हम आपको 50 लाख के बदले 10% तो नहीं 7% देंगे। तो फिर काफी सोचने के बाद अमन और नामित ने ये इस deal को 50 लाख रुपये with 7% इक्विटी के साथ deal को closed कर दिया। ऐसी ही Informative information के लिए व्यापर की बात को सभी social media पर follow करे।smart helmet

कैसे Microsoft company को छोड़कर बनाई Ola Cabs

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Ola Cabs

कैसे Microsoft की नौकरी छोड़कर भावेश अग्रवाल जी ने OLA Cabs का business स्टार्ट किया।

आज हम भावेश अग्रवाल जी के बारे में बात करेंगे, जो कि OLA Cabs के Founder है। आज के समय में OLA Cabs को तो हर कोई जानता ही है,और आप शायद OLA Cabs का इस्तेमाल भी करते होंगे, क्योंकि OLA Cabs ने हमारी Journey को आसान बना दिया है। ओला cabs की मदद से हम आसानी से जहां चाहे वहां घुम सकते है, बिना कोई समय बर्बाद हुए। आपको बता दे भावेश अग्रवाल जी ने Microsoft की नौकरी छोड़कर OLA Cabs का business स्टार्ट किया। भाविश  अग्रवाल जी की अलग सोच ने ना सिर्फ उन्हें करोड़पति बनाया बल्कि लाखों लोगों के लिए Travel की एक बड़ी problem को भी दूर किया है।ola owner

भावेश अग्रवाल Indian Institute of Technology Bombay से Passout है। भाविश Microsoft Company में काम करते थे। लेकिन वो कौन-सा बड़ा कारण था की जिसके चलते उन्होंने Microsoft company को अलविदा कहा और खुद की एक करोड़ों की कम्पनी खड़ी कर दी।

भाविश अग्रवाल जी का जन्म 25 अगस्त 1985 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था। श्री नरेश कुमार अग्रवाल उनके पिता और श्रीमती उषा अग्रवाल उनकी माता है। भाविश ने मुबई के Indian Institute of Technology से कंप्यूटर साइंस में Btech इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और Microsoft company में रिसर्च करते हुए जॉब करने लगे। रिसर्च के दौरान ही उन्हें इसके लिए दो पेटेंट भी प्राप्त हो चुके थे लेकिन वे अपनी इस 9 से 5 की सुरक्षित नौकरी से जरा भी खुश नही थे क्योंकि उनके अंदर खुद के लिए काम करने का जूनून पैदा हो गया था। वे एक Entrepreneur बनना चाहते थे लेकिन एक सुरक्षित जॉब ने उन्हें रोका हुआ था  और  साथ ही वे सोसायटी में हो रही छोटी-मोटी problems को लेकर ऑप्शन देख रहे थे कि भविष्य में समाज की समस्याओं को लेकर कुछ करना चाहिए।

कैसे आया अपनी खुद की कम्पनी शुरू करने का ख़याल

इस बारे में भाविश खुद बताते हैं कि उनकी कम्पनी ola की शुरुआत का आईडिया उनकी खुद की एक car बुकिंग से शुरू हुई थी। जिसका अनुभव बहुत ही बुरा था। एक बार उन्होंने बेंगलुरु से बांदीपुर की यात्रा के लिए एक कार बुक की थी, जिनकी सर्विस बहुत ही ज्यादा खराब थी। जब वे बेंगलुरु से बांदीपुर की यात्रा पर निकले तो आधे रास्ते में ही ड्राईवर ने उनसे पैसे मांगने शुरू कर दिए, और ड्राईवर का बर्ताव, उसके बात करने का तरीका भी सही नहीं था। उसके बुरे व्यवहार से परेशान होकर रास्ते में ही उन्हें गाड़ी से उतरना पड़ा और बाकी की यात्रा बस से करनी पड़ी।

जब वे बस में थे और आगे का सफ़र तय कर रहे थे तब बार-बार उनके दिमाग में यही बात चल रही थी कि उनके साथ ऐसा क्यों हुआ। साथ ही साथ उन्हें यह सोच भी खाए जा रही थी कि ऐसे बहुत से लोग भी होंगे जिन्हें अच्छी कार सर्विस नहीं मिल रही होगी और उनके साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा होगा। तभी उन्हें लगा कि उनके जैसे ही बाकी कस्टमर्स एक अच्छी cab सर्विस की तलाश कर रहे होंगे जो उन्हें क्वालिटी सर्विस प्रदान कर सके क्योंकि ज्यादातर यात्रियों का अनुभव बहुत ख़राब ही रहता है इसी सोच को लेकर कि वे इस फील्ड में कुछ बड़ा करेंगे उन्होंगे ola cab company शुरू करने का सोचा।old

भाविश, सफ़र के दौरान समझ चुके थे कि कम पैसे में एक अच्छी सर्विस देने से ही ola company को बड़े लेवल पर रन किया जा सकता है इसलिए उन्होंने कुछ ऐसा सोचा जो कस्टमर्स को इससे अच्छा और कोई न दे सके। इसी सोच की वजह से आज ola company 70 से भी ज्यादा शहरों में है और 1.50 लाख लोग प्रतिदिन उनकी इस सर्विस का लाभ ले रहे हैं। Bhavish Aggarwal और उनकी पत्नी Rajalakshmi Aggarwal ने एक फैसला लिया है कि वे कभी भी खुद की कार नहीं खरीदेंगे और वे हमेशा OLA Service का ही इस्तेमाल करेंगे।

Technology और Internet ने business को बढ़ाने में की पूरी मदद

भाविश पहले से ही आईटी फील्ड से थे इसलिए उन्होंने अपना business model इस तरह से तैयार किया था कि कस्टमर को कार बुक करने के लिए या पेमेंट के लिए उनके ऑफिस न आना पड़े।

Cab सर्विस और तकनीकी का combination बहुत ही बढ़िया रहा, क्योंकि इसके App को इस तरह से बनाया गया था जिससे कस्टमर को अपने सुविधा की सारी जानकारी मिल सके। वे online ही बुकिंग कर सकें, रेटिंग और रिव्यू देख सकें और अपने फोन से ही क्वालिटी की पूरी चेकिंग कर सके। भाविश जैसे ही हटकर सोचने वाले उनके दोस्त अंकित भाटी नवम्बर 2010 में कम्पनी में शामिल हुए.. उन्होंने भी उसी कॉलेज से आइआइटी और Mtech की डिग्री प्राप्त की थी। दोनों ने कम्पनी को साथ रन करने का सोचा और आगे बढ़ते गये।

Bhavish Aggarwal ke Parents का क्या रिएक्शन रहा

किसी भी बड़े company का Startup छोटे से ही शुरू होता है। जब company शुरुआत करने की भाविश ने  सोची तो दोस्तो और लोगों का मजाक उड़ाना स्वाभाविक था। लेकिन जब आपके काम को parents भी न समझें तो दिक्कत महसूस होती है। शुरुआत में माँ-पापा को लग रहा था कि इतना पढ़ने और नौकरी छोड़ने के बाद कोई travell agent बनने का सोच रहा है लेकिन उनको उस वक्त समझा पाना मुश्किल होता था। क्योंकि कुछ हटकर करने से सभी लोगों की तरह घरवाले भी आपको पागल समझ सकते हैं और इसमें उनकी कोई गलती भी नहीं है लेकिन जैसे-जैसे पैसे आने लगे तो उनको भाविश के स्टार्टअप पर विश्वास होने लगाऔर वे समझने लगे कि लड़का आगे जरूर कुछ बड़ा करेगा।

100 से भी ज्यादा शहर 100 करोड़ से ज्यादा की Income

आज भारत के सबसे बड़ी company OLA देश में बहुत ही तेजी से ग्रो कर रही। आज के समय में ola Cab एवं auto बुकिंग सर्विस देने वाली कम्पनी बन चुकी है। OLA एक स्मार्टफोन ऐप है। cab बुकिंग के लिए सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला ऐप है। Business के स्तर को जब आप देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि ola ने तीन साल में ही एक अरब भारतीय रूपये का आंकड़ा पार किया है और आज की तारीख में यदि हम देखें तो इस कम्पनी ने 100 भी ज्यादा शहरों में अपना परचम लहराया रही है। ऐसी ही Informative information के लिए व्यापर की बात को सभी social media पर follow करे।

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Make in India more crucial from Figure of national security

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Make in India is Important || Vyaparkibaat.com

आज दुनिया India  को मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस के तौर में देख रही है: पीएम मोदी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि Make in India समय की जरूरत थी, और भारत इंक से देश में निर्मित होने वाले सामानों के आयात को कम करने के प्रयास करने का आह्वान किया।

मोदी ने Make in India  पर बजट के बाद वेबिनार में बोलते हुए कहा, “अगर हम राष्ट्रीय सुरक्षा के चश्मे से देखते हैं तो आत्मानबीरता (आत्मनिर्भरता) अधिक महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि निर्माताओं को Semiconductor  इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे क्षेत्रों में विदेशी स्रोतों पर निर्भरता को दूर करने की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इसी तरह, इस्पात और चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों में स्वदेशी विनिर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। मोदी ने कहा, आज दुनिया भारत को एक विनिर्माण शक्ति के रूप में देख रही है।

अगर किसी देश से कच्चा माल जाता है और वह उनसे निर्मित माल का आयात करता है, तो यह स्थिति घाटे का सौदा होगी हमें भारत में एक मजबूत विनिर्माण(manufacturing) आधार बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। आज देश में जिस चीज की जरूरत है, उसमें हमें Make in India को बढ़ावा देना है।

मोदी का बयान रूस-यूक्रेन Make in India is important|| Vyaparkibaat.comयुद्ध की पृष्ठभूमि में आया है, जिसने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को झकझोर कर रख दिया है। हाल के दिनों में, एक उग्र कोविड -19 महामारी ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर दिया था, जिससे राष्ट्रों के लिए आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम करना अनिवार्य हो गया था।  Also read :-

प्रधान मंत्री ने स्थानीय उत्पादों के लिए नए गंतव्य खोजने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला, और निजी क्षेत्र से अनुसंधान और विकास पर खर्च बढ़ाने और अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में विविधता(diversion) लाने और अपग्रेड करने का आग्रह किया। उन्होंने खनन, कोयला और रक्षा जैसे क्षेत्रों के खुलने के साथ नई संभावनाओं की ओर भी इशारा किया। आपको Global  मानकों को बनाए रखना होगा और आपको विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा भी करनी होगी,” उन्होंने कहा। मोदी ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के क्रियान्वयन(implementation) में तेजी लाने के लिए उद्योग जगत से सुझाव भी मांगे।

एक के बाद एक लगातार हो रहे सुधारों का असर दिखाई दे रहा है। उदाहरण के लिए, बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिए पीएलआई में, हमने दिसंबर 2021 तक 1 ट्रिलियन रुपये का उत्पादन पार कर लिया। हमारी कई पीएलआई योजनाएं वर्तमान में कार्यान्वयन के एक बहुत ही महत्वपूर्ण चरण में हैं, ”उन्होंने कहा।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, जिन्होंने वेबिनार को भी संबोधित किया, ने कहा कि दुनिया आज आत्मनिर्भरता के संबंध में भारत की कहानी का अनुकरण(simulation) करना चाहती है क्योंकि अन्य देश भी ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे कार्यक्रमों के बारे में बात कर रहे हैं। गोयल ने विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अपनी पांच सूत्रीय दृष्टि भी साझा की, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को अब 14 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक ले जाना, वैश्विक व्यापार को अर्थव्यवस्था के 10 प्रतिशत तक बढ़ाना, शीर्ष बनना शामिल है। सेवाओं के निर्यात में तीन राष्ट्र, विदेशी व्यापार में सहायता के लिए छोटे व्यवसायों का समर्थन करते हैं, और 10 नवाचार केंद्र बनाते हैं।

 

 

Today Cryptocurrency declined as the Russia Ukraine war

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Today Cryptocurrency price declined|| Vyaparkibaat.com

Global Cryptocurrency बाजार पूंजीकरण पिछले 24 घंटों में 5.21 % गिरकर 1.83 ट्रिलियन डॉलर हो गया, जबकि इस अवधि के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम 10.69% घटकर 85.22 बिलियन डॉलर हो गया।

पिछले 24 घंटों में, विकेंद्रीकृत(decToday cryptocurrency price Declined || Vyaparkibaat.comentralized) वित्त (DEFi) क्षेत्र में कुल मात्रा 14.55 बिलियन डॉलर रही, जो 24 घंटे के Cryptocurrency ट्रेडिंग वॉल्यूम का लगभग 17.08% है। स्थिर स्टॉक की कुल मात्रा 71.87 बिलियन डॉलर थी, जो 24 घंटे के Cryptocurrency ट्रेडिंग वॉल्यूम का लगभग 84.33% था।

Global Cryptocurrency  बाजार फिर से गिर गए क्योंकि रूस ने यूक्रेन पर अपना हमला तेज कर दिया, दक्षिणी यूक्रेनी शहर खेरसॉन पर कब्जा कर लिया और कीव और खार्किव पर आक्रामक हो गया।

4 मार्च की सुबह Bitcoin का बाजार प्रभुत्व 0.11% गिरकर 43.06% हो गया और मुद्रा 41,430.77 डॉलर पर कारोबार कर रही थी।

रुपये के संदर्भ में, Bitcoin 5.19 % गिरकर 32,65,396 रुपये पर कारोबार कर रहा था जबकि Ethereum 7.04 % गिरकर 2,15,643.5 रुपये पर बंद हुआ।

कार्डानो 5.3% गिरकर 69.84 रुपये और हिमस्खलन(Avalanche) 6.6 प्रतिशत गिरकर 6,113.1 रुपये पर बंद हुआ। पिछले 24 घंटों में पोलकाडॉट 5.4 फीसदी गिरकर 1,373.99 रुपये और लिटकोइन 2.25 फीसदी गिरकर 8,489.89 रुपये पर बंद हुआ था। टीथर 0.39 प्रतिशत बढ़कर 78.92 रुपये पर था। मेमेकॉइन SHIB 5.21 प्रतिशत गिर गया जबकि डॉगकोइन 4.65 प्रतिशत गिरकर 9.93 रुपये पर कारोबार कर रहा था। टेरा (LUNA) 1.98 प्रतिशत गिरकर 7,133.99 रुपये परhai.

अन्य समाचारों में, ब्लॉकचैन एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म एलिप्टिक द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, यूक्रेनी क्रिप्टो क्राउडफंडिंग प्रयासों ने अब $ 50.9 मिलियन की कमाई की है। एलिप्टिक ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा है, “यूक्रेनी सरकार और सेना को सहायता प्रदान करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ने रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद से 89,000 से अधिक क्रिप्टो संपत्ति दान के माध्यम से $ 50.9 मिलियन जुटाए हैं।” यूक्रेन का क्रिप्टो क्राउडफंडिंग पुश 26 फरवरी को शुरू हुआ, जब यूक्रेनी सरकार के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट ने घोषणा की कि वह अब क्रिप्टोक्यूरेंसी दान स्वीकार कर रहा है।

जब यूक्रेनी सरकार ने पहली बार घोषणा की कि वह क्रिप्टोक्यूरेंसी दान स्वीकार कर रही है, तो उसने इच्छुक दाताओं के लिए एक बिटकॉइन और एथेरियम वॉलेट पता साझा किया। प्रति ब्लॉकचेन रिकॉर्ड, उन दो पतों को अब क्रमशः $ 10 मिलियन और $ 16 मिलियन मूल्य के बिटकॉइन और एथेरियम प्राप्त हुए हैं।

Decentralized स्वायत्त संगठन यूक्रेन डीएओ ने 26 फरवरी को शुरू हुई और 2 मार्च को समाप्त हुई एक नीलामी में 2,258 ईटीएच (लगभग 6.75 मिलियन डॉलर) जुटाए। बाजार में गिरावट के बाद, यह राशि आज लगभग 6.4 मिलियन डॉलर है। पिछले महीने शुरू किया गया, यूक्रेन डीएओ इंग्लैंड में रहने वाले एक यूक्रेनी कार्यकर्ता अलोना शेवचेंको के दिमाग की उपज है।

शेवचेंको का कहना है कि यूक्रेन डीएओ डिजिटल कलाकार सामूहिक प्लेसरडीएओ के सदस्यों और वैचारिक विरोध कला समूह, पुसी रायट के संस्थापक नाद्या तोलोकोनिकोवा के साथ जुड़ने के बाद एक साथ आया था। साथ ही, पूर्व राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने कहा है कि वह कुछ क्रिप्टो एक्सचेंजों में “निराश” हैं जिन्होंने रूसी उपयोगकर्ताओं को अपने प्लेटफॉर्म से प्रतिबंधित नहीं किया है।

मैं यह देखकर निराश था कि कुछ तथाकथित Crypto एक्सचेंज, उनमें से सभी नहीं, लेकिन उनमें से कुछ, रूस के साथ लेनदेन को समाप्त करने से इनकार कर रहे हैं,” क्लिंटन ने एमएसएनबीसी पर द रेचेल मैडो शो पर हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान कहा।

उन्होंने कहा, “हर किसी को अभी रूसी आर्थिक गतिविधि को अलग-थलग करने के लिए जितना संभव हो सके उतना करना चाहिए।” विशेष रूप से, कॉइनबेस, बिनेंस और क्रैकन सहित कई क्रिप्टो एक्सचेंजों ने सभी रूसी उपयोगकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने के विकल्प को अस्वीकार कर दिया है, यह कहते हुए कि ऐसा करने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं है।

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कैसे हुई थी Dominos’s Pizza की शुरुआत, जानें Thomas Stephen Monaghan Startup की पूरी कहानी

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Thomas Stephen Monaghan Founder Of Dominos Pizza की सफलता की कहानी

आज हम एक ऐसे व्यक्ति की success story का discussion करेंगे जिसका नाम पुरे वर्ल्ड में फेमस है। आज हम Domino’s Pizza Founder थॉमस स्टीफेन ‘टॉम’ की success story के बारे में बताएंगे। ये एक से व्यक्ति है जिन्होंने जीवन में कई मुश्किलों का सामना करके अपनी मेहनत, इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता से आज Domino’s Pizza को इस बुलंदी तक पहुँचाया है।

Thomas Stephen का जन्म अमरीका के मिशिगन राज्य के एन आर्बर शहर में 25 मार्च 1937 को एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके परिवार में माता-पिता और एक छोटे भाई थे। पिताजी एक मामूली से ट्रक ड्राईवर थे और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन्ही के कंधो पर थी। परिवार का खर्चा जैसे-तैसे चल ही रही थी कि अचानक एक दिन christmas की evening पर उनके पिताजी का देहांत हो गया तब उनकी उम्र मात्र 4 वर्ष की थी।

अब उनकी घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही थी तो ऐसे में उनकी माताजी को घर की आर्थिक स्थिति के कारण Thomas Stephen और उनके भाई को मिशिगन स्थित “सेंट जोसफ होम” में छोड़कर 6 वर्षो के लिए नर्सिंग कोर्स करने चली गई। इन 6 वर्षो में Thomas Stephen Monaghan को sis. मैरी बेरारडा की संगत में आस्था और चर्च के प्रति प्रेम जागृत हो चुका था। इसके 6 वर्षो बाद उनकी माँ दोनों भाइयो को अपने साथ ट्रांसवर्स सिटी ले गई जहाँ वो अब अपना नर्सिंग कोर्स पूरा करके एक अस्पताल में नर्स के रूप में कार्य कर रही थी।

Stephen की अपनी माँ से कभी नही बनी थी और उनके माँ के साथ रिश्ते हमेशा ही खराब रहे। जबकि उन्होंने भी घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सब्जियाँ उगाकर बेचीं, मछली पकड़कर भी बेचीं और मिलिकेन डिपार्टमेंटल स्टोर्स के सामने ट्रांसवर्स सिटी रिकॉर्ड ईगल की book भी बेचने तक का कार्य किया लेकिन अंत में उनकी माँ ने उन्हें अनाथालय भेज दिया। अनाथालय जाने के बाद उन्होंने वहां से ट्रांसवर्स सिटी के ‘सेंट फ्रांसिस स्कूल’ से अपनी पढ़ाई जारी रखी पर धर्म और चर्च के प्रति अपने लगाव के कारण वो प्रीस्ट बनने की सोचने लगे और अनाथालय के प्रीस्ट के द्वारा उन्हें मिशिगन के ग्रांड रैपिड्स में स्थित ‘सेंट जोसफ सेमिनरी’ में भेज दिया गया लेकिन जल्दी ही वहाँ उन्हें अनुशासनहीनता का दोषी मानकर निकाल दिया गया और उनका प्रीस्ट बनने का सपना भी अधूरा रहे गया।

उसके बाद वो फिर माँ के साथ रहने लगे लेकिन जल्दी ही आपसी तनाव की वजह से माँ ने उन्हें juvenile detention house में डाल दिया। वहाँ से एक पति-पत्नी ने उन्हें बाहर निकाला और एन आर्बर के सेंट थॉमस स्कूल में admission करवा दिया। यहाँ से उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करके मिशगन के बिग रैपिड्स के ‘फेरिस स्टेट कॉलेज’ के आर्किटेक्चर ट्रेड स्कूल में दाखिला ले लिया।

इसके बाद उन्होंने 3 वर्ष तक navy में नौकरी की और अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए पूरे 2000  डॉलर बचाये लेकिन एक ऑइल कंपनी के ‘जल्दी अमीर बनिए’ स्कीम के झांसे में आकर अपनी पूरी जमा पूँजी गंवा दी। फिर जैसे तैसे अपनी पढाई पूरी करने के लिए यूनिवर्सिटी में admission ले लिया।

Thomas Stephen Monaghan ने वर्ष 1960 में अपने छोटे भाई के साथ मिलकर मिशिगन के यपसिलान्ती शहर के डोमोनिक डीवात्री नामक व्यक्ति से pizza store खरीदकर pizza business शुरू किया। शुरू में पिज़्ज़ा डिलीवरी के लिए फैक्ट्री के ही 2 बेरोजगार कर्मचारियों को रख लिया। सबकुछ शरू किया ही था कि 8 महीने बाद ही छोटा भाई उनका साथ छोड़ कर चला गया।

उसके बाद Thomas Stephen Monaghan अकेले ही कुछ समय तक business चलाते रहे। फिर जल्द ही उन्हें नये पार्टनर जिम गिल्मौर मिले और जल्दी ही उनकी मेहनत रंग लाई और बस 1 साल के अंदर ही उन्होंने यपसिलान्ती में अपना दूसरा pizza स्टोर खोल लिया और फिर 2 साल के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन में तीसरा ‘Pizza King’ खोल लिया।

Thomas Stephen Monaghan ने अपने नये पार्टनर को pizza store  दे दिया और खुद से नए business Dominos के नाम से कंपनी शुरू की। उनका लक्ष्य शुरू से ही लोगो को सबसे स्वादिष्ट और अच्छी क्वालिटी का pizza देना था। उन्होंने उसी तरफ अपना सारा ध्यान लगा रखा था।

फिर उन्होंने america के लोगो के बदलते कल्चर और ट्रेंड को देखते हुए Pizza Home Delievery Service शुरू की जिसके लिए उन्होंने एक ऐसे इंसुलेटेड pizza box का निर्माण करवाया  जिसमें pizza लंबे समय तक गर्म रहता है। आख़िरकार उनका Dominos Pizza खूब चलने लगा और 1969 तक Dominos Pizza के 12 store खुल चुके थे लेकिन तभी उनके जीवन में एक भारी मुसीबत आई और उनके main pizza store  में आग लग गई  जिसके बाद business में उन्हें काफी नुक्सान हुआ और करोड़ो रुपये का कर्ज ना चुकाने के कारण कोर्ट ने उन्हें दिवालिया घोषित कर दिया और बैंक ने Dominos Pizza को अपने आधीन ले लिया।

इधर बैंक Dominos Pizza को बेचने के चक्कर में था पर कोई उसे नही ले रहा था और ना ही बैंक उसे ढंग से चला पा रहा था | ऐसे में बैंक ने Thomas Stephen Monaghan को 200 डॉलर प्रति हफ्ता के वेतन पर नौकरी पर रख लिया | उसके बाद वो रात-दिन मेहनत कंपनी को प्राप्त करने के लिए करने लगे। आख़िरकार वर्ष 1971 में   बैंक ने Dominos Pizza को डूबता मानकर Thomas Stephen Monaghan को एक स्टोर के बदले domino’s के सारे शेयर वापस कर दिए | अब भागदौड़ पूर्ण तरह अपने हाथ में आने के बाद उन्होंने सबसे पहले कंपनी को अपने पैरो पर खड़ा करने के लिए  Dominos Pizza के 5 स्टोर अपने प्रतिद्वंदी ड्रेटाईट के Dino’s को बेचे जिसके कारण Dino’s सबसे बड़ा पिज़्ज़ा चैन बन गया।

अब उन्होंने बाकी बचे 5 स्टोर के साथ ही काम आगे बढ़ाना शुरू किया। धीरे-धीरे पहले बैंक का कर्ज उतारा और फिर पिछली वाली गलतियों से सबक लेकर धीरे-धीरे कई जगह कंपनी स्टोर को खोलकर Dominos Pizza का विस्तार किया।

इसके बाद उन्होंने 1973 में कंपनी को और आगे बढ़ाने के लिए 30 मिनट में गारंटीड pizza की तरकीब अपनाई जिसमे Pizza Home Delievery Service में ग्राहक को 30 मिनट में pizza delivery न हो पाने की स्थिति में एक पिज़्ज़ा फ्री में दिया जाएगा और 30 मिनट के अंदर ही pizza ग्राहक तक पहुंचाने पर  डिलीवरी मैन को बोनस प्रदान कर सम्मानित किया जाता था। Thomas Stephen Monaghan ये तरकीब काम कर गई और Dominos Pizza चल निकला और आज की स्थिति में ये Pizza Hut के बाद यह world की सबसे बड़ी pizza chain कंपनी बन गई जो कई दूसरे देशो में ग्राहकों को अपनी Pizza Home Delievery Service की सेवा दे रही है।

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Small Business Ideas in hindi​ for 2025 | स्मॉल बिजनेस आइडियाज

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देश में जहां 80 प्रतिशत से ज्यादा पापुलेशन मिडिल क्लास या लोअर मिडल क्लास है जिनके पास बड़े बिजनेस को शुरू करने के लिए...